तुर्की से व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध से पीछे हटी भारत सरकार, घरेलू दबाव के बावजूद संतुलित नीति पर कायम
तुर्की के खिलाफ देश में बढ़ते बहिष्कार के आह्वान के बावजूद, भारत सरकार फिलहाल उस देश से व्यापार पूरी तरह बंद करने के पक्ष में नहीं दिख रही है। The Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, जहां एक ओर तुर्की की कंपनियों की भारत के सामरिक ढांचे में भागीदारी को सीमित करने के प्रयास जारी हैं, वहीं पूर्ण व्यापार प्रतिबंध से फिलहाल परहेज़ किया जा रहा है।
व्यापारिक लाभ के चलते नहीं उठाया जा रहा कठोर कदम
भारत फिलहाल तुर्की के साथ लगभग 2.73 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) बनाए हुए है। यही एक प्रमुख कारण है कि सरकार आयात पर तत्काल रोक लगाने के पक्ष में नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि तुर्की से आयात रोकने का सीधा असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ेगा, खासकर उद्योग और एमएसएमई क्षेत्र में।
"हमें तुर्की से आयात रोकने के कई सुझाव मिले हैं। हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों ने विशेष रूप से इसकी मांग की है। लेकिन हमें अपने निर्यातकों के हितों को भी ध्यान में रखना होगा," एक सरकारी अधिकारी ने The Indian Express को बताया।
"ऐसा कदम भले ही भू-राजनीतिक संदेश दे सकता है, लेकिन हमें इसकी आर्थिक लागत भी देखनी होगी।"
भारत के निर्यात में लगातार वृद्धि
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने तुर्की को 5.72 अरब डॉलर का निर्यात किया, जिसमें से 3 अरब डॉलर से अधिक इंजीनियरिंग उत्पाद थे। इनमें से 35–40% हिस्सा एमएसएमई क्षेत्र से आया। वहीं दूसरी ओर, तुर्की से भारत को हुआ कुल आयात 2.99 अरब डॉलर का रहा, जिसमें मुख्य रूप से सेब, मेवे, संगमरमर और सोना शामिल थे।
घरेलू उद्योगों की आपत्ति तेज
हिमाचल प्रदेश के सेब किसानों ने हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय से मिलकर तुर्की से सेब के आयात पर रोक लगाने की मांग की। उनका कहना है कि तुर्की से आने वाले सब्सिडी वाले सेब उनकी फसल को बाज़ार में नुकसान पहुँचा रहे हैं।
“सेब केवल एक फसल नहीं, बल्कि पहाड़ी राज्यों की आर्थिक रीढ़ है,” एक किसान ने कहा।
इसी तरह, उदयपुर के संगमरमर प्रोसेसरों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर तुर्की से संगमरमर के आयात पर प्रतिबंध की मांग की। उन्होंने तुर्की द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने को आधार बनाया। वर्तमान में भारत अधिकतर संगमरमर का आयात तुर्की से ही करता है।
सुरक्षा मोर्चे पर उठाए जा चुके हैं कदम
हालांकि भारत ने व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन रणनीतिक क्षेत्रों में सख्त कदम उठाए गए हैं। हाल ही में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने सेलेबी एविएशन—जो तुर्की की एक ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी की भारतीय शाखा है—की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप कर मुंबई एयरपोर्ट में नए ठेके पर फैसला जून तक टाल दिया है।
इसके अलावा, यूक्रेन युद्ध के बाद तुर्की द्वारा भारत से की गई पेट्रोलियम खरीद भी FY25 में घटकर काफी कम हो गई है।
पर्यटन क्षेत्र भी प्रभावित
तुर्की के पाकिस्तान-समर्थक रुख का असर पर्यटन पर भी दिख रहा है। भारत से तुर्की और अज़रबैजान जाने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट देखी गई है। 2024 में तुर्की ने जहां 3 लाख भारतीय पर्यटकों का स्वागत किया, वहीं अज़रबैजान में 2.44 लाख भारतीय पर्यटक पहुंचे। अब ज़्यादातर लोग कज़ाखस्तान और उज़्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों की ओर रुख कर रहे हैं।
आर्थिक सोच और राजनीतिक संदेश के बीच संतुलन की कोशिश
भले ही देश में तुर्की के खिलाफ नाराज़गी और प्रतिबंध की मांग तेज़ हो रही है, लेकिन सरकार फिलहाल राजनीतिक संदेश और आर्थिक हितों के बीच संतुलन बनाए रखने की नीति पर चल रही है। फिलहाल, तुर्की से व्यापार पूरी तरह रोकने की संभावना नहीं दिख रही, क्योंकि इससे भारत के निर्यात और एमएसएमई क्षेत्र को झटका लग सकता है।

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