Iron Dome vs S-400:भारत के लिए Iron Dome क्यों नहीं है सही विकल्प? Lt Gen Rahul Singh का बड़ा बयान

 भारत के लिए Iron Dome जैसा सिस्टम क्यों नहीं है सही विकल्प?

हाल की FICCI के 'New Age Military Technologies' कार्यक्रम में भारत के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेन्स) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने कहा, भारत के पास इज़राइल की तरह डबल डोम सिस्टम नहीं है।  “हमारे पास इज़राइल जैसी विशेष सुविधा नहीं है,
दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद 300-400 ड्रोन का हमला किया है जम्मू-कश्मीर के बारामूला से गुजरात के भुज तक 36 स्थानों पर, इनमें अवंतीपोरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और भुज जैसे हवाई अड्डों और सैन्य अड्डों

“Israel’s Iron Dome air defence system shooting down an enemy missile in mid-air at night with a visible explosion and interceptor missile.”


 भारत के पास मौजूद S-400 जैसे नवीनतम एयर डिफेंस सिस्टम ने हालांकि अधिकांश ड्रोन हमलों को सफलतापूर्वक रोक लिया है फिर भी सवाल यह उठता है कि भारत आखिर Iron Dome की तरह सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं करता?

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क्या है इजराइल का Iron Dome सिस्टम?

Iron Dome को इजराइल और अमेरिका के संयुक्त प्रयास से बनाया गया है। यह 4 से 70 किलोमीटर के क्षेत्र में शॉर्ट-रेंज रॉकेट्स, आर्टिलरी शेल्स और मोर्टार शेल्स को इंटरसेप्ट कर सकता है। यह तेज गति से आने वाले खतरों को पकड़कर हवा में नष्ट कर देता है।
 75% से 95% के इंटरसेप्शन रेट के साथ, यह स्थानीय स्तर पर शहरों और कुछ महत्वपूर्ण स्थानों को सुरक्षित रख सकता है।


फिर भारत में Iron Dome क्यों नहीं?

इजराइल का क्षेत्रफल है 22,000 वर्ग किलोमीटर, भारत का 32 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक, ऐसे में एक सीमित रेंज वाला सिस्टम पूरे देश को बचाने में असमर्थ है।  Iron Dome की क्षमता 70 किलोमीटर तक है— भारत जैसे बड़े देश में हर महत्वपूर्ण शहर और सैन्य स्थान को कवर करना असंभव

“Israel’s Iron Dome air defence system shooting down an enemy missile in mid-air at night with a visible explosion and interceptor missile.”


इजराइल को कई खतरों से गुजरना पड़ा है, लेकिन अधिकांश खतरा सीमावर्ती क्षेत्रों से शॉर्ट रेंज रॉकेट और मोर्टार शेल्स से आता है।  वहीं भारत को पाकिस्तान और चीन से लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और अत्याधुनिक ड्रोन स्वार्म का सामना करना पड़ सकता है।
Iron Dome एक महंगा उपकरण है क्योंकि इसका रखरखाव महंगा है।  इसे इज़राइल जैसे छोटे देश में कुछ विशेष शहरों और स्थानों पर रखना उचित होगा।  ऐसा नेटवर्क बनाने के लिए भारत को सैकड़ों बैटरियों की आवश्यकता होगी जो रक्षा बजट पर भारी पड़ेगा।
4. ड्रोन स्वार्म का नया खतरा: आज ड्रोन तकनीक काफी उन्नत हो गई है।  Iron Dome जैसे सिस्टम को सैकड़ों ड्रोन से बचाना मुश्किल हो सकता है।  ऐसे में भारत, लेजर वेपन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और मल्टी लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क पर जोर दे रहा है।

भारत का विकल्प क्या है?

S-400 और अन्य लंबी रेंज मिसाइल सुरक्षा प्रणाली: भारत ने रूस से S-400 मिसाइल सुरक्षा प्रणाली खरीद ली है जो लंबी दूरी की मिसाइलों को भी इंटरसेप्ट कर सकती है। इसके अलावा DRDO स्वदेशी हवाई सुरक्षा परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है।
 भारत अपनी सीमा पर मल्टी लेयर एयर डिफेंस ग्रिड तैयार कर रहा है। इसमें मीडियम, शॉर्ट और लॉन्ग रेंज के मिसाइल इंटरसेप्टर शामिल हैं।
 ✅ ड्रोन और UAV तकनीक में आत्मनिर्भरता के लिए, भारत अब स्वयं के ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम बना रहा है, ताकि स्वार्म अटैक जैसे खतरे से बच सकें।
भारत की भूगोलिक और सामरिक आवश्यकताएं पूरी तरह से अलग हैं, लेकिन इजराइल के लिए निष्कर्ष Iron Dome एक अच्छी रक्षा व्यवस्था है। हमें अपनी चुनौतियों के अनुरूप बहु-आयामी और बहु-स्तरीय रक्षा ढांचे पर ही ध्यान देना होगा। भारत केवल अपनी तकनीक और नवीनतम हथियारों से अपनी सीमा सुरक्षित रख सकता है।

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