इजरायली सेना की गलती पर भारत का गुस्सा: नक्शे में जम्मू-कश्मीर को बाहर दिखाना पड़ा भारी

इजरायली सेना की गलती पर भारत का गुस्सा: नक्शे में जम्मू-कश्मीर को बाहर दिखाना पड़ा भारी

इजरायल की डिफेंस फोर्स (IDF) ने शुक्रवार रात एक ऐसा कदम उठाया जो उसे भारी पड़ गया। X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किए गए एक मैप में भारत की सीमाएं गलत दर्शाई गई थीं, जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत का हिस्सा नहीं दिखाया गया था। यह पोस्ट ईरान की मिसाइल क्षमताओं को लेकर चेतावनी के तौर पर डाली गई थी, लेकिन मैप की यह गलती भारत में सोशल मीडिया पर जबरदस्त गुस्से की वजह बन गई।

90 मिनट में माफी, लेकिन गुस्सा शांत नहीं हुआ

IDF ने 90 मिनट के भीतर “Indian Right Wing Community” नामक एक हैंडल को जवाब देते हुए लिखा:

“यह पोस्ट क्षेत्रीय स्थिति का एक चित्रण मात्र है। इसमें दर्शाए गए नक्शे में सीमाओं की सटीकता नहीं है। किसी को ठेस पहुंची हो तो हम क्षमा चाहते हैं।”

हालांकि, यह माफ़ी भारतीय यूज़र्स के गुस्से को ठंडा नहीं कर पाई। हजारों यूज़र्स ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को टैग कर के इस गलती को “अस्वीकार्य” और “भारत की संप्रभुता का अपमान” बताया। कुछ यूज़र्स ने तो यह भी लिखा कि “अब आपको समझ में आ गया होगा कि भारत हमेशा तटस्थ क्यों रहता है, कूटनीति में कोई स्थायी मित्र नहीं होता।”

क्यों इतना संवेदनशील है यह मामला?

भारत के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सिर्फ भूगोल नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का हिस्सा हैं। भारत हमेशा से यह स्पष्ट करता आया है कि ये क्षेत्र उसके अभिन्न अंग हैं, भले ही पाकिस्तान और चीन ने इनका कुछ हिस्सा अवैध रूप से कब्जा कर रखा हो।

हाल ही में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा कहा था कि "भारत की अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।" ऐसे में जब एक रणनीतिक साझेदार इजरायल की आधिकारिक सेना ही भारत का अपमान करती है, तो सवाल उठना लाजमी है।

भारत-इजरायल संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?

भारत और इजरायल के बीच बहुत गहरे कूटनीतिक और रक्षा संबंध हैं। 2017 में प्रधानमंत्री मोदी इजरायल जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने थे। भारत इजरायल से हथियार खरीदने वाला दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। दोनों देशों के बीच कृषि, साइबर सुरक्षा, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में भी गहरी भागीदारी है।

इसलिए IDF की यह गलती केवल एक ग्राफिकल चूक नहीं मानी जा सकती। यह एक ऐसे मित्र राष्ट्र की लापरवाही है जिससे भारत को संवेदनशील मुद्दों पर अधिक समझदारी की अपेक्षा है।

मैप में क्या दिखाया गया था?

IDF द्वारा साझा किए गए मैप में ईरान को केंद्र में रखते हुए लाल रंग के वृत्त दर्शाए गए थे जो ईरान की मिसाइलों की पहुँच को दर्शा रहे थे। इन वृत्तों में भारत, चीन, यूरोप के कुछ हिस्से और उत्तरी अफ्रीका शामिल थे। लेकिन भारत का नक्शा अधूरा और विकृत रूप में दिखाया गया, जिसमें न तो जम्मू-कश्मीर शामिल था और न ही लद्दाख।

कूटनीति में भरोसे की कीमत

यह घटना हमें एक बार फिर यह याद दिलाती है कि कूटनीति में विश्वास बहुत कीमती होता है, लेकिन बहुत नाजुक भी। भारत ने हमेशा इजरायल का समर्थन किया है, लेकिन इस तरह की घटनाएं उस भरोसे में दरार डाल सकती हैं।

भारत सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन विदेश मंत्रालय द्वारा इस पर स्पष्टीकरण या विरोध दर्ज कराना संभव है, खासकर जब मामला देश की संप्रभुता से जुड़ा हो।

निष्कर्ष: मित्रता में संवेदनशीलता जरूरी

IDF द्वारा जल्दबाज़ी में मांगी गई माफी एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इससे मूल गलती की गंभीरता कम नहीं होती। जब आप किसी देश के आधिकारिक सैन्य संस्थान हैं और वैश्विक मंच पर कोई जानकारी साझा करते हैं, तो उस जानकारी की भू-राजनीतिक संवेदनशीलता को समझना अनिवार्य होता है।

भारत जैसे देश, जो हर मंच पर अपनी संप्रभुता और अखंडता को लेकर अडिग हैं, के लिए ऐसे मुद्दे केवल “गलती” नहीं होते—वे सम्मान और राष्ट्रहित का मामला होते हैं।

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