जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर टैक्स छूट पर बड़ा फैसला संभव, वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिलने की उम्मीद
वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद अपनी आगामी बैठक में जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर लंबे समय से लंबित कर राहत के मुद्दे पर चर्चा कर सकती है। यह बैठक संसद के मानसून सत्र से पहले हो सकती है। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, बीमा से संबंधित मंत्रियों के समूह (GoM) इस बार टर्म लाइफ इंश्योरेंस और वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर पूरी तरह से जीएसटी छूट की सिफारिश दोबारा प्रस्तुत कर सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, बीमा नियामक संस्था IRDAI ने इस मुद्दे पर अपने अंतिम सुझाव परिषद को सौंप दिए हैं, जिसे दिसंबर 2024 की पिछली बैठक में मांगा गया था। इन्हीं सिफारिशों के आधार पर अंतिम निर्णय की संभावना है।
इस समय, जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी लगाया जाता है। हालांकि, केंद्र सरकार इस दर को घटाने पर विचार कर रही है। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दर में कटौती से बीमा अधिक सुलभ होगा और देशभर में बीमा कवरेज बढ़ेगी।
मंत्रियों के समूह ने सुझाव दिया है कि वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर पूर्ण जीएसटी छूट, साथ ही 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर कर में राहत दी जाए ताकि आम जनता को सस्ती बीमा सुविधा मिल सके।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रस्तावित छूट से सालाना करीब ₹2,600 करोड़ का राजस्व नुकसान हो सकता है, जिसमें से ₹200 करोड़ टर्म लाइफ इंश्योरेंस और ₹2,400 करोड़ स्वास्थ्य बीमा से संबंधित होगा। हालांकि, सरकार का मानना है कि बढ़ी हुई बीमा पहुंच और सामाजिक सुरक्षा इस राजस्व हानि से कहीं अधिक लाभकारी साबित होगी।
बीमा कंपनियों ने जीएसटी छूट को लेकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के नुकसान पर चिंता जताई है। वर्तमान व्यवस्था में कंपनियां अपने बुनियादी खर्चों जैसे कि आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, मार्केटिंग और प्रशासनिक खर्चों पर दिए गए टैक्स को उपभोक्ताओं से वसूले गए जीएसटी के खिलाफ समायोजित कर सकती हैं। लेकिन यदि बीमा को पूरी तरह से टैक्स-मुक्त किया जाता है, तो यह आईटीसी व्यवस्था बाधित हो जाएगी, जिससे कंपनियों की लागत बढ़ेगी और प्रीमियम भी महंगे हो सकते हैं।
सरकारी सूत्रों का कहना है, “जीएसटी दर को घटाकर 12% करने से उपभोक्ताओं को खास लाभ नहीं मिलेगा, और 5% पर लाने से आईटीसी के कारण सरकार को नुकसान होगा। इसलिए सबसे उचित विकल्प पूर्ण छूट ही है।”
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत में बीमा पैठ (insurance penetration) GDP का केवल 3.7% है, जो वैश्विक औसत 7% से काफी कम है। ऐसे में सरकार का लक्ष्य बीमा को आम लोगों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों और कमजोर वर्गों के लिए सुलभ बनाना है।
अब सबकी नजर जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक पर टिकी है, जो उद्योग से मिले फीडबैक और वित्तीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय लेगी।

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