Israel की ‘Samson Option’: परमाणु तबाही की रणनीति – 2025 में क्यों सबसे खतरनाक साबित हो सकती है?

 

“इज़रायल की सैमसन ऑप्शन नीति: परमाणु सिद्धांत की प्रतीकात्मक चित्रण जिसमें इज़रायली झंडा, मिसाइल और मशरूम क्लाउड दिखाया गया है”

इज़रायल की ‘सैमसन ऑप्शन’ नीति: 2025 में क्यों उठी फिर चर्चा?

साल 2025 के मध्य में इज़रायल की परमाणु नीति, जिसे ‘सैमसन ऑप्शन’ के नाम से जाना जाता है, फिर से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। यह अब केवल एक पुरानी रणनीति नहीं, बल्कि एक संभावित वास्तविक खतरा बन चुकी है, खासकर जबसे इज़रायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर “ऑपरेशन राइजिंग लायन” शुरू किया है।

क्या है ‘सैमसन ऑप्शन’?
‘सैमसन ऑप्शन’ इज़रायल की वह रणनीति मानी जाती है, जिसके अनुसार अगर देश के अस्तित्व पर गंभीर खतरा मंडराने लगे, तो वह परमाणु हमले के जरिए अपने दुश्मनों समेत खुद को भी तबाह कर सकता है। इस नीति का नाम बाइबिल के योद्धा ‘सैमसन’ से लिया गया है, जिसने अपने दुश्मनों को मारने के लिए खुद को भी मंदिर के मलबे में दफना दिया था।

हालांकि इज़रायल ने कभी सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया कि उसके पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि इज़रायल के पास 80 से 400 तक परमाणु हथियार हो सकते हैं, जिन्हें ज़मीन, हवाई और समुद्री रास्तों से लॉन्च किया जा सकता है।

इतिहास और गुप्त तैयारी
1950 के दशक में इज़रायल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियन ने इस नीति की नींव रखी थी। फ्रांस और नॉर्वे की मदद से डिमोना में परमाणु सुविधा तैयार की गई। 1967 तक माना गया कि इज़रायल के पास पहला परमाणु हथियार था। इस नीति की नींव “हम मध्य पूर्व में पहले परमाणु हथियार उपयोगकर्ता नहीं होंगे” के सिद्धांत पर रखी गई।

2025 में क्यों बनी ज़रूरत?
2025 में शुरू हुए ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ ने इस नीति को फिर ज़िंदा कर दिया है। इज़रायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जवाब में ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से पलटवार किया। हिजबुल्ला और हूती जैसे संगठनों की भी गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। ऐसे में यदि किसी हमले में रासायनिक या परमाणु तत्व शामिल होते हैं, तो इज़रायल के लिए ‘सैमसन ऑप्शन’ सक्रिय करने की आशंका बढ़ सकती है।

व्यापार और वैश्विक प्रभाव

  1. रक्षा खर्च में उछाल: इज़रायल और खाड़ी देशों ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम जैसे Iron Dome और Arrow-3 के ऑर्डर बढ़ा दिए हैं। अमेरिकी कंपनियाँ जैसे Raytheon और Lockheed Martin को लाभ मिल रहा है।

  2. तेल बाज़ार में हलचल: ब्रेंट क्रूड की कीमत 102 डॉलर प्रति बैरल तक गई जब इज़रायल ने नातान्ज़ पर हमला किया।

  3. एनपीटी (NPT) बहस: इज़रायल NPT का सदस्य नहीं है, जिससे अन्य देशों के लिए मिसाल बनता जा रहा है।

  4. साइबर युद्ध: इज़रायल और अमेरिका ने Stuxnet जैसे साइबर हथियारों का इस्तेमाल अतीत में किया था, और अब फिर से साइबर युद्ध की संभावनाएँ सामने आ रही हैं।

सावधानी और चेतावनी
2023 में जब हमास ने इज़रायल पर हमला किया था, एक मिसाइल Jericho मिसाइल बेस के पास गिरी थी। इससे यह स्पष्ट हुआ कि इज़रायल के परमाणु ठिकाने भी अब युद्ध की परिधि में आ चुके हैं। ऐसे में कुछ नेताओं की ओर से परमाणु हथियारों की धमकी देना वैश्विक चिंता का विषय है।

निष्कर्ष:
‘सैमसन ऑप्शन’ अब केवल रणनीति नहीं बल्कि संभावित वास्तविकता बन गई है। अगर यह सक्रिय हुई, तो न केवल मध्य पूर्व, बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर पड़ेगा। यह एक ऐसी नीति है जो आत्मरक्षा के नाम पर वैश्विक तबाही को न्योता दे सकती है।

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