"Mayday कॉल: एयर इंडिया पायलट की आखिरी आवाज़ और एविएशन की सबसे बड़ी चेतावनी"



अहमदाबाद प्लेन क्रैश और 'Mayday' कॉल: जानिए इस एक शब्द ने क्यों मचाया हलचल

13 जून 2025 को अहमदाबाद से उड़ान भरते ही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गई। इस हादसे में न सिर्फ विमान में सवार लोगों की जान गई, बल्कि ज़मीन पर भी तबाही मच गई। लेकिन इस भयावह घटना के बीच एक शब्द जो बार-बार सामने आया — 'Mayday'

क्या आपने कभी सोचा है कि ‘Mayday’ आखिर होता क्या है? यह कब बोला जाता है? और इसकी अहमियत क्या है?

✈️ ‘Mayday’ कॉल: आखिरी अलार्म

AI-171 के पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल, जिनके पास 8,200 घंटे की उड़ान का अनुभव था, ने उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद कंट्रोल टॉवर को “Mayday, Mayday” कॉल दी। DGCA की रिपोर्ट के अनुसार, यह कॉल 13:39 बजे (IST) रनवे 23 से टेकऑफ के तुरंत बाद की गई। इसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) द्वारा की गई किसी भी कॉल का कोई उत्तर विमान की ओर से नहीं आया।

और फिर चंद सेकंडों में, यह विमान एयरपोर्ट की सीमा के बाहर मेघानी नगर क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भयानक हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से अधिकांश की मौत हो गई, वहीं ज़मीन पर भी कई लोग, जिनमें मेडिकल कॉलेज के छात्र भी शामिल थे, घायल हो गए।

🔍 ‘Mayday’ का मतलब क्या होता है?

‘Mayday’ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त आपातकालीन कॉल होती है, जिसे पायलट, नाविक या आपात सेवा कर्मी तब उपयोग करते हैं जब किसी स्थिति में तत्काल सहायता की ज़रूरत होती है। यह कॉल तब दी जाती है जब जीवन को खतरा हो — जैसे इंजन फेल होना, आग लगना, टेक्निकल खराबी, टकराव का खतरा या अन्य आपात स्थिति।

एक बार पायलट रेडियो पर “Mayday, Mayday, Mayday” कहता है, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल समेत अन्य सभी विमानों को उस संदेश को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होती है।

🛫 कैसे शुरू हुआ 'Mayday'?

‘Mayday’ शब्द की उत्पत्ति 1920 के दशक में लंदन के क्रॉयडन एयरपोर्ट में हुई थी। वहां के रेडियो ऑफिसर फ्रेडरिक स्टेनली मॉकफोर्ड ने फ्रेंच शब्द “m’aider” (मदद करें) से प्रेरित होकर इसे चुना। 1923 में इसे इंटरनेशनल एविएशन में आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया और 1927 में “SOS” के साथ मान्य आपातकालीन संकेत बना।

⚠️ कॉकपिट में 'Mayday' कैसे काम करता है?

जब कोई पायलट "Mayday" कॉल करता है, तो वह अपने रेडियो पर यह शब्द तीन बार दोहराता है — ताकि यह सुनिश्चित हो कि सभी इसे स्पष्ट रूप से सुनें और भ्रम की कोई गुंजाइश न रहे। इसके बाद वह अपनी स्थिति, समस्या का विवरण, सवार यात्रियों की संख्या और किस प्रकार की सहायता चाहिए — यह सब बताता है।

उदाहरण के लिए:

“Mayday Mayday Mayday – This is Air India 171, engine failure after takeoff from Ahmedabad, 242 souls on board, immediate emergency landing required.”

ऐसे मामलों में हर सेकंड कीमती होता है और इस कॉल के साथ ही रेस्क्यू टीमें अलर्ट मोड में चली जाती हैं।

🕊️ AI-171 हादसे में 'Mayday' आखिरी आवाज़ क्यों बनी?

DGCA की रिपोर्ट के मुताबिक, पायलट ने ‘Mayday’ कॉल दी, लेकिन कुछ ही पल में विमान संपर्क से बाहर हो गया। इसका सीधा अर्थ यह है कि विमान ने गंभीर तकनीकी गड़बड़ी का सामना किया, जिससे पायलट को समय नहीं मिल पाया कि वह आगे की जानकारी दे सके।

इस कॉल ने ना सिर्फ यह साबित किया कि पायलट ने आखिरी समय तक अपनी जिम्मेदारी निभाई, बल्कि यह भी दिखाया कि ऐसी कॉल सिस्टम कितना प्रभावी है — अगर समय साथ दे।

🙏 एक चमत्कारी बचाव: सीट 11A पर बैठा यात्री बच गया

इस हादसे के बाद एक वीडियो सामने आया जिसमें एक यात्री, जो सीट 11A पर बैठा था, हादसे के बाद खुद चलते हुए बाहर आता दिखाई दिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसने उम्मीद की एक किरण जगा दी।


🔚 निष्कर्ष: 'Mayday' सिर्फ एक शब्द नहीं, ज़िंदगी और मौत के बीच की रेखा है

AI-171 के इस दुखद हादसे ने एक बार फिर दिखा दिया कि हवाई यात्रा में ‘Mayday’ कॉल कितनी महत्वपूर्ण होती है। यह एक ऐसी पुकार है जो हर विमान यात्री के जीवन की रक्षा में सबसे पहला कवच बनती है।

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