"जंग लगवाओ, डॉलर कमाओ! अमेरिका दुनिया में जंग भड़का कर हथियारों का व्यापार बढ़ा रहा है? पाकिस्तान ने लगाया बड़ा आरोप"
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अमेरिका पर यह सनसनीखेज़ आरोप लगाया कि वह दुनियाभर में युद्धों को जानबूझकर बढ़ावा देता है ताकि हथियारों की बिक्री से मुनाफा कमा सके। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर जमकर घमासान मचा। नेटिज़न्स ने पाकिस्तान की अपनी नीतियों और ख्वाजा आसिफ के पुराने विवादित बयानों को लेकर उन्हें आड़े हाथों लिया। कई लोगों ने इस बयान को राजनीतिक एजेंडा और दोगली सोच का हिस्सा बताया।
"अमेरिका जंग से चलता है? पाकिस्तानी मंत्री का बड़ा आरोप – '260 युद्ध लड़े, ताकि हथियार बिकते रहें'"
लेख:
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। उनका दावा है कि अमेरिका बीते सौ वर्षों से दुनियाभर में युद्धों को बढ़ावा देता आया है — सिर्फ इसलिए कि उसका हथियार उद्योग फलता-फूलता रहे।
आसिफ ने कहा, "पिछले करीब 100 वर्षों में अमेरिका ने 260 युद्ध लड़े हैं, जबकि चीन सिर्फ तीन में शामिल रहा है। बावजूद इसके, अमेरिका लगातार पैसा कमा रहा है। उनका रक्षा उद्योग एक स्थापित बिज़नेस है, जो उनकी अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। इसीलिए वे दुनिया में टकराव पैदा करते रहते हैं।"
उन्होंने अफगानिस्तान, सीरिया, मिस्र और लीबिया जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये कभी समृद्ध राष्ट्र हुआ करते थे, लेकिन आज बर्बादी के कगार पर हैं — और इसका कारण है अमेरिका द्वारा थोपे गए संघर्ष।
"दोनों पक्षों को हवा देता है अमेरिका"
ख्वाजा आसिफ का आरोप यहीं नहीं रुका। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका किसी भी युद्ध में सिर्फ एक पक्ष का नहीं, बल्कि दोनों पक्षों का समर्थन करता है, ताकि टकराव बना रहे और हथियारों की मांग बनी रहे। उनके अनुसार, यह एक सुनियोजित रणनीति है जिससे अमेरिका का रक्षा उद्योग – जिसे वे "स्थायी इंडस्ट्री" कहते हैं – वैश्विक अस्थिरता के ज़रिए पनपता है।
पाक-अमेरिका रिश्तों पर सवाल
हालांकि, आसिफ के इस बयान के बाद तीखी आलोचनाएं भी देखने को मिली हैं। खासकर तब, जब खुद पाकिस्तान का अमेरिका से दशकों पुराना सैन्य सहयोग रहा है। पाकिस्तान ने अमेरिका से F-16 लड़ाकू विमान खरीदे, और कई बार आर्थिक मदद और सैन्य सहायता पर भी निर्भर रहा है।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने पाकिस्तान के इस दोहरे रवैये पर सवाल उठाए। कुछ ने कहा कि जब खुद पाकिस्तान ने अमेरिका से अरबों डॉलर की सैन्य सहायता ली है, तब अब इस तरह के आरोप लगाना राजनीतिक नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं लगता।
निष्कर्ष:
ख्वाजा आसिफ का बयान भले ही अमेरिका के खिलाफ तीखी आवाज़ हो, लेकिन इसने पाकिस्तान की अपनी नीतियों और पृष्ठभूमि को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्या यह बयान वाकई एक सच्चाई को उजागर करता है या फिर यह सिर्फ घरेलू राजनीति में अंकों की तलाश है — यह बहस अभी जारी है।

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