🇮🇳 भारत और फ्रांस की संभावित साझेदारी: तेजस MK-2 के लिए इंजन विकास की नई दिशा
🇺🇸 GE इंजनों की देरी बनी चिंता का कारण
वर्तमान में तेजस Mk-1 को अमेरिकी कंपनी GE Aerospace द्वारा निर्मित F404-IN20 इंजन से शक्ति मिल रही है। हालांकि, हाल ही में इन इंजनों की आपूर्ति में हुई देरी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के प्रोडक्शन शेड्यूल को प्रभावित किया है और भारतीय वायुसेना की क्षमता वृद्धि की योजनाओं को धीमा कर दिया है।
रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इन चुनौतियों के कारण भारत वैकल्पिक साझेदारियों पर विचार कर रहा है, ताकि घरेलू स्तर पर इंजन विकास को गति दी जा सके और किसी एक आपूर्तिकर्ता पर निर्भरता कम हो।
🛡️ बढ़ती सुरक्षा चुनौतियाँ और रणनीतिक पुनरावलोकन
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा परिदृश्य में आए बदलावों ने भारत को अपनी लड़ाकू क्षमताएं तेजी से बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 42 में से केवल 31 स्क्वाड्रन सक्रिय हैं, जो इसके सामरिक लक्ष्यों से कम हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इंजन आपूर्ति में आने वाली बाधाओं के चलते रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन आवश्यक हो गया है, खासकर जब विदेशी तकनीक और आपूर्ति श्रृंखला की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
✈️ तेजस Mk-2: भविष्य की उड़ान
तेजस Mk-2 एक 4.5-पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसका वजन लगभग 17.5 टन होगा। इसे मिराज-2000, जगुआर और मिग-29 जैसे पुराने विमानों की जगह लेने के लिए डिजाइन किया गया है। Mk-2 को लंबी रेंज, अधिक हथियार वहन क्षमता और बेहतर मल्टी-रोल क्षमताओं से लैस किया जाएगा।
इस परियोजना की सफलता में समय पर इंजन विकास की अहम भूमिका होगी।
📉 देरी से प्रभावित हो रही है प्रगति
2009-10 में तेजस Mk-1 के पहले ऑर्डर के बाद, 2021 में भारत ने 83 तेजस Mk-1A विमानों के लिए ₹48,000 करोड़ का ऑर्डर दिया था। इसकी डिलीवरी 2024 के मध्य से शुरू होनी थी, लेकिन GE से इंजनों की आपूर्ति में हुई देरी के कारण शेड्यूल पीछे चला गया है।
GE ने 2021 के ऑर्डर के तहत 99 F404 इंजनों में से सिर्फ एक इंजन अब तक प्रदान किया है, जबकि पहले Mk-1 के लिए 65 इंजन पहले ही दिए जा चुके हैं।
🇫🇷 Safran: नया रणनीतिक सहयोगी?
GE द्वारा निर्मित F414 इंजन, तेजस Mk-2 और भविष्य के AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) को शक्ति देने के लिए निर्धारित हैं। लेकिन हालिया देरी और रणनीतिक चिंताओं ने भारत को Safran के साथ साझेदारी की संभावना पर गंभीरता से विचार करने के लिए प्रेरित किया है।
यदि यह साझेदारी सफल होती है, तो यह फ्रांसीसी कंपनी विशेष रूप से तेजस Mk-2 के लिए इंजन विकसित करने में भारत की मदद कर सकती है।
🛠️ आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम
इंजन तकनीक में विविधता लाना सिर्फ आपूर्ति सुनिश्चित करने का तरीका नहीं है, बल्कि यह घरेलू क्षमता और तकनीकी विशेषज्ञता को भी बढ़ावा देता है। यह भारत के "आत्मनिर्भर भारत" लक्ष्य के अनुरूप है, जहां रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
🔚 निष्कर्ष
तेजस Mk-2 भारत की भविष्य की वायु शक्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रहा है। इंजन आपूर्ति की समयसीमा में देरी ने भले ही कुछ बाधाएं खड़ी की हों, लेकिन Safran जैसी कंपनियों के साथ संभावित साझेदारी भारत को आत्मनिर्भर और रणनीतिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में निर्णायक कदम हो सकती है।
यदि यह सहयोग मूर्त रूप लेता है, तो यह सिर्फ एक तकनीकी साझेदारी नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और रक्षा नवाचार की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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