इज़राइल-ईरान तनाव के बीच पीएम मोदी ने नेतन्याहू से की बातचीत, शांति बहाल करने पर दिया ज़ोर

 

इज़राइल-ईरान तनाव के बीच पीएम मोदी ने नेतन्याहू से की बातचीत, शांति बहाल करने पर दिया ज़ोर

इज़राइल-ईरान तनाव के बीच पीएम मोदी ने नेतन्याहू से की बातचीत, शांति बहाल करने पर दिया ज़ोर

परिचय
पश्चिम एशिया में एक बार फिर तनाव का माहौल है। इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष ने पूरी दुनिया की चिंताओं को बढ़ा दिया है। ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत की और क्षेत्र में शांति बहाल करने की अपील की। यह कदम भारत की रणनीतिक सोच और वैश्विक भूमिका को दर्शाता है।

भारत की चिंता: आर्थिक और मानवीय दोनों स्तर पर
भारत का पश्चिम एशिया से गहरा जुड़ाव है। एक ओर जहाँ लाखों भारतीय नागरिक खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत की ऊर्जा ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र से पूरा होता है। ईरान और इज़राइल दोनों ही भारत के पुराने साझेदार हैं – एक ऊर्जा आपूर्ति में और दूसरा रक्षा और तकनीकी सहयोग में। ऐसे में किसी भी सैन्य संघर्ष का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा पर पड़ सकता है।

मोदी-नेतन्याहू बातचीत: क्या हुआ?
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बात की। इस दौरान मोदी ने भारत की गहरी चिंता ज़ाहिर की और स्पष्ट किया कि क्षेत्र में शांति बनाए रखना सभी के हित में है। उन्होंने आग्रह किया कि इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को बातचीत और कूटनीति से हल किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने मोदी को हालिया घटनाओं से अवगत कराया, जिसमें ईरानी परमाणु ठिकानों पर इज़राइली कार्रवाई भी शामिल थी। हालांकि, इज़राइल ने यह स्पष्ट किया है कि उसकी कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत की गई है।

भारत का संतुलित रुख
भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संतुलन बनाए रखा है। एक तरफ़ जहाँ भारत ईरान के साथ ऊर्जा और सांस्कृतिक संबंधों को अहम मानता है, वहीं इज़राइल के साथ उसकी रक्षा, कृषि और तकनीकी क्षेत्र में मजबूत साझेदारी है। इसीलिए भारत ने किसी एक पक्ष का समर्थन करने की बजाय सभी पक्षों से संयम बरतने और वार्ता के ज़रिए समाधान निकालने की अपील की है।

खाड़ी क्षेत्र में भारतीय प्रवासी और उनकी सुरक्षा
लगभग 80 लाख से अधिक भारतीय खाड़ी देशों में काम करते हैं। किसी भी सैन्य संघर्ष की स्थिति में सबसे पहले इन प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा संकट में पड़ सकती है। भारत सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह हरसंभव प्रयास करे जिससे वहाँ के हालात सामान्य बने रहें।

विश्व राजनीति में भारत की भूमिका
भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं रहा, बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी भूमिका और प्रभाव लगातार बढ़ रहे हैं। शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना भारत की विदेश नीति का अहम हिस्सा रहा है। यही कारण है कि भारत ने इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करते हुए शांति की अपील की है।

निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेतन्याहू से की गई बातचीत न केवल एक कूटनीतिक पहल है, बल्कि यह भारत की वैश्विक जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। इज़राइल-ईरान तनाव के इस दौर में भारत ने अपनी चिंता जताकर यह संकेत दे दिया है कि वह केवल मूकदर्शक नहीं है, बल्कि सक्रिय भागीदार के रूप में विश्व शांति की दिशा में कार्य कर रहा है। अब देखना यह है कि क्या भारत जैसे देशों की पहल से इस क्षेत्र में तनाव कम हो पाएगा या हालात और बिगड़ेंगे।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ