Advantage India: अमेरिका-बांग्लादेश-चीन के मुकाबले परिधान निर्यात में भारत की नई उड़ान
नई दिल्ली – वैश्विक परिधान बाजार में भारत एक बार फिर तेज़ी से उभरता हुआ खिलाड़ी बन गया है। चीन और बांग्लादेश से दूरी बनाते हुए पश्चिमी देश अब भारत को विश्वसनीय कपड़ा आपूर्ति केंद्र (reliable apparel sourcing hub) के रूप में देख रहे हैं।
CITI (Confederation of Indian Textile Industry) की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में भारत के परिधान निर्यात में 11.3% की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की गई — जो महामारी के बाद पहली बार इतनी मज़बूत वापसी है।
🇺🇸 अमेरिका बना सबसे बड़ा मौका: $120 अरब डॉलर का बाज़ार
वर्तमान में, अमेरिका में भारत का कपड़ा निर्यात $10 बिलियन है, जबकि चीन अब भी $30 बिलियन के साथ आगे है। लेकिन ड्यूटी एडवांटेज और चीन के खिलाफ लगे प्रतिबंधों ने भारत को जबरदस्त मौका दिया है।
"हमें बस सस्ते दामों पर कच्चा माल चाहिए और भारत की फैशन इंडस्ट्री अमेरिका में झंडा गाड़ सकती है।"
— संजय के जैन, चेयरमैन, नेशनल टेक्सटाइल कमेटी
📉 कोविड के बाद की सुस्ती अब खत्म
संजय जैन के अनुसार, कोविड के बाद लोगों ने नए कपड़े खरीदने में रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि पहले ही काफी कपड़े स्टॉक हो चुके थे। इससे 2 वर्षों की मंदी या शून्यता (stagnation) रही।
लेकिन अब जैसे ही बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल हुई — खासकर पिछले अगस्त में शेख हसीना सरकार हटने के बाद — अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारत की ओर रुख कर रहे हैं।
🇧🇩 बांग्लादेश की गिरावट, भारत की चढ़ाई
बांग्लादेश का परिधान क्षेत्र अपने कम लागत, तेज़ उत्पादन क्षमता के लिए जाना जाता है। लेकिन वहां की राजनीतिक अस्थिरता ने खरीदारों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
📈 सितंबर में भारत के परिधान निर्यात में 17.3% की वृद्धि,
📈 अक्टूबर में यह 24.35% तक पहुंच गई।
खरीदार अब ऐसी आपूर्ति श्रृंखला चाहते हैं जो स्थिर और भरोसेमंद हो — और भारत इसमें फिट बैठता है।
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🧵 ड्यूटी एडवांटेज और ग्लोबल ट्रेंड्स का फायदा
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने चीन पर आयात शुल्क (tariff) लगाए हैं, जिससे भारत को बड़ा लाभ मिल रहा है। कई अमेरिकी ब्रांड्स अब भारत के मैन्युफैक्चरर्स को कह रहे हैं:
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उत्पादन क्षमता बढ़ाओ
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जरूरी इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन लो
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गुणवत्ता और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करो
यह सभी मांगें भारत के लिए एक बड़ा एक्सपोर्ट मौका बन रही हैं।
🌱 लेकिन चिंता: कच्चे कपास की कीमतें
हालांकि परिधान निर्यात में ग्रोथ है, परंतु भारत में कच्चे कपास की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से ज़्यादा हो गई हैं।
📌 2024–25 में भारत के कपास आयात 3.3 मिलियन बेल्स (170 किलो प्रत्येक) तक पहुंच सकते हैं — जो पिछले वर्ष के 1.52 मिलियन बेल्स से दोगुना है।
➡️ इसका सीधा असर परिधान उत्पादन लागत पर पड़ेगा।
📌 निष्कर्ष
भारत की परिधान निर्यात नीति अब सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी का रूप ले रही है।
जैसे-जैसे अमेरिका, यूरोप और अन्य पश्चिमी बाजार चीन और बांग्लादेश से दूरी बना रहे हैं, भारत के पास दुनिया का अगला टेक्सटाइल टाइगर बनने का मौका है।
लेकिन सफलता इस पर टिकी है कि क्या भारत — कच्चे माल की लागत, उत्पादन समय, और वैश्विक प्रमाणन मानकों को संतुलित और तेज़ बना पाता है या नहीं।

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