भारत की टेस्ट टीम में बदलाव की दस्तक: नंबर 3 और 4 की नई खोज शुरू
जब करुण नायर ने नेट्स की ओर बढ़ते हुए अपने कंधे पर किट बैग टांगा, तो उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि अभ्यास सत्र से पहले की पारंपरिक हलचल अभी बाकी है — वार्म-अप, टीम हडल, थोड़ी बातचीत और हंसी-ठिठोली से भरा एक फील्डिंग ड्रिल। लीड्स की धूप में भारत का पहला प्रशिक्षण सत्र हल्के-फुल्के अंदाज में शुरू जरूर हुआ, लेकिन जल्द ही वातावरण गंभीरता में बदल गया।
जहां एक ओर नए गेंदबाज सलामी बल्लेबाजों के खिलाफ अपनी लाइन-लेंथ पर काम कर रहे थे, वहीं करुण नायर और साई सुदर्शन मैदान के एक कोने में जाकर स्पिनरों — रविंद्र जडेजा, कुलदीप यादव और वॉशिंगटन सुंदर — के खिलाफ अभ्यास कर रहे थे। लगभग आधे घंटे तक स्पिन झेलने के बाद दोनों ने मुख्य नेट्स में आकर जसप्रीत बुमराह जैसे खतरनाक तेज गेंदबाज का सामना किया, जो अपनी स्विंग और गति से आज भी बल्लेबाजों की परीक्षा लेने में पीछे नहीं हटते।
अब स्थिति यह है कि शुबमन गिल के नंबर 4 पर बल्लेबाज़ी करने की पुष्टि हो चुकी है, और नंबर 3 की खोज करुण नायर और साई सुदर्शन के बीच चल रही है। यह स्थान केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट में परंपरा का प्रतीक रहा है — जहां कभी राहुल द्रविड़ की दृढ़ता, सचिन तेंदुलकर की प्रतिभा, चेतेश्वर पुजारा की सादगी और विराट कोहली की आक्रामकता ने इसे गौरवपूर्ण बनाया।
पुरानी विरासत से अलग, नई राह की शुरुआत
2013 में जब तेंदुलकर ने आखिरी बार टेस्ट में बल्ला उठाया, तो कोहली ने उनकी जगह ली और दक्षिण अफ्रीका में अगली सीरीज़ में शतक जड़कर यह साबित कर दिया कि वह इस स्थान के उत्तराधिकारी हैं। इसी तरह पुजारा ने भी बेंगलुरु में अपने डेब्यू मैच की चौथी पारी में नंबर 3 पर आकर द्रविड़ की परंपरा को आगे बढ़ाया।
लेकिन अब कहानी अलग है। कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में भारत की नंबर 3 और 4 की औसत महज़ 32.23 रही है, जो सात अन्य टेस्ट-playing देशों से भी नीचे है। यह गिरावट सिर्फ व्यक्तिगत प्रदर्शन की नहीं, बल्कि टीम के ढांचे में आई अस्थिरता की भी कहानी कहती है।
इंग्लैंड: बदलाव की बेहतरीन शुरुआत
वर्तमान में इंग्लैंड टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से सबसे अनुकूल जगह बन सकती है। स्टोक्स और मैक्कुलम के नेतृत्व में इंग्लैंड की पिचें शुरुआत में थोड़ी तेज़ जरूर होती हैं, लेकिन बाद में बल्लेबाज़ों के अनुकूल हो जाती हैं। जून 2022 से अब तक इंग्लैंड में नंबर 3 और 4 बल्लेबाजों ने बाकी किसी भी देश से ज़्यादा रन (5346), सेंचुरी (15) और तेज़ रेट से रन बनाए हैं।
इस गर्मी में, जब धूप भी साथ दे रही है और विपक्ष की गेंदबाज़ी थोड़ी कमजोर नज़र आ रही है, तो यह भारत के लिए अपने मध्यक्रम को फिर से संवारने का सुनहरा मौका हो सकता है।
एक ठोस मध्यक्रम ही है असली कुंजी
आज के दौर में बल्लेबाजी की चुनौती अलग है — विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के चलते परिणाम निकलवाने वाली पिचें बनती हैं और दबाव कहीं ज़्यादा होता है। इस स्थिति में नंबर 3 और 4 की स्थिरता ना सिर्फ रन देती है, बल्कि नीचे के बल्लेबाजों को आज़ादी देती है। ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों को खुलकर खेलने का मंच मिलता है। साथ ही टीम पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ उतरने की सोच सकती है — जो किसी भी टेस्ट जीतने की कुंजी है।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत की असफलता सिर्फ छूटे हुए मौके नहीं थे, बल्कि एक अस्थिर बल्लेबाजी क्रम और रक्षात्मक चयन नीति का नतीजा थे। ज्यादा बल्लेबाज चुनने की कोशिश में गेंदबाज़ी का असर कमजोर पड़ गया।
अब ज़िम्मेदारी है गिल एंड कंपनी पर
आज ज़रूरत है कि गिल, नायर और सुदर्शन जैसे युवा बल्लेबाज केवल प्रदर्शन ना करें, बल्कि एक ढांचा तैयार करें — एक ऐसा ढांचा जो आने वाले वर्षों में भारत की जीत की नींव रखे। जब शीर्ष क्रम स्थिर होता है, तो निचले क्रम पर दबाव कम होता है, गेंदबाजों को आजादी मिलती है और टीम संतुलित महसूस करती है।
यह सिर्फ एक स्थान की लड़ाई नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के अगले अध्याय की नींव है।
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