भारतीय सिनेमा की अमर नायिका: बी. सरोजा देवी का जीवन और विरासत
भारत की पहली महिला सुपरस्टार और ‘अभिनय सरस्वती’ के नाम से मशहूर बी. सरोजा देवी ने अपनी अद्भुत अदाकारी और मेहनत से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में एक अमिट छाप छोड़ी। 14 जुलाई 2025 को बेंगलुरु में 87 वर्ष की उम्र में उनके निधन से भारतीय सिनेमा के एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया।
बी. सरोजा देवी जीवन कहानी: बचपन से शुरू हुआ था सपना
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🎬 फिल्मी करियर की कहानी: एक रात में स्टारडम
1955 में उन्होंने कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ से अपने करियर की शुरुआत की, जो राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म बनी। इसके बाद 1958 में तमिल सिनेमा की सुपरहिट फिल्म ‘नादोडी मन्नन’ में उन्होंने एम.जी. रामचंद्रन (MGR) के साथ काम किया, जिसने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया।
🌟 चार भाषाओं में चमकता सितारा
बी. सरोजा देवी ने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिंदी — चार भाषाओं में करीब 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उन्होंने लगातार 161 फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिका निभाई, जो आज भी एक रिकॉर्ड है।
🎥 कन्नड़ सिनेमा में उनके प्रमुख योगदान:
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कित्तूर रानी चेन्नम्मा (1961)
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अमरशिल्पी जक्कनाचारि (1964)
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मल्लम्मना पावड़ा (1968)
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बाबरुवाहन, अन्ना थंगी, श्रीकृष्णा कल्याणम
🎥 तमिल फिल्मों में उनकी पहचान:
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पलुम पझमुम, आलयमणि, पेरिया इडाथु पेन, पुथिया परावाई, एंगा वीट्टु पिल्लै, अनबे वा
एम.जी. रामचंद्रन के साथ उन्होंने 26 फिल्मों में काम किया और उन्हें MGR की ‘लकी मैस्कॉट’ माना गया।
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🎥 तेलुगु सिनेमा में यादगार फिल्में:
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सीताराम कल्याणम, जगदेक वीरुनी कथा, दागुडु मूथालु
🎥 हिंदी फिल्मों में भी चमका नाम:
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पैगाम (1959) — दिलीप कुमार के साथ
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ससुराल (1961) — राजेन्द्र कुमार के साथ
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बेटी बेटे (1964) — सुनील दत्त के साथ
🏅 पुरस्कार और सम्मान:
उनके योगदान को सम्मानित करते हुए उन्हें कई बड़े राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार मिले:
पद्म श्री (1969)
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पद्म भूषण (1992)
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कलाईमामणि पुरस्कार (तमिलनाडु सरकार)
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डॉ. राजकुमार पुरस्कार (कर्नाटक सरकार)
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एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार (आंध्र प्रदेश सरकार)
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भारत सरकार का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (2008)
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बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से मानद डॉक्टरेट
व्यक्तिगत जीवन और समाज सेवा:
1967 में उन्होंने श्री हर्ष से विवाह किया, जो भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियर थे। उन्होंने अपने पति के निधन के बाद अपनी भतीजी भुवनेश्वरी को गोद लिया और अपने पोते-पोतियों इंदिरा और गौतम के साथ रहना शुरू किया।
सरोजा देवी ने भी समाजसेवा को उतनी ही महत्व दी जितनी फिल्मों को। विकलांग बच्चों के लिए स्कूलों में विशेष कक्षाएं बनाईं और कई चैरिटी ट्रस्ट बनाए। साथ ही, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है।अंतिम विदाई और सम्मान:
14 जुलाई 2025 को उनके घर बेंगलुरु में उन्होंने अंतिम सांस ली। देश भर के फिल्मी सितारों, नेताओं और लाखों प्रशंसकों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें अभिनय की देवी कहा।Read this also 👉https://www.thenukkadnews.in/2025/07/operation-sindoor-ajit-doval-statement-foreign-media.html
विरासत: यादों में हमेशा जीवित रहेंगी
बी. सरोजा देवी सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि उन्होंने भारतीय सिनेमा में महिला पात्रों को नई गरिमा और मजबूती दी। उन्होंने भाषा की दीवारें तोड़ीं और अपनी सादगी, अभिनय कौशल और समाज सेवा से अनगिनत लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई। आने वाली पीढ़ियां उन्हें हमेशा प्रेरणा के स्रोत के रूप में याद रखेंगी।


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