रूसी विदेश मंत्री ने तोड़ी चुप्पी: "टैरिफ नहीं तोड़ सकते रिश्ते अमेरिका चाहे जितना दबाव बना ले, भारत-रूस की दोस्ती नहीं टूटेगी"

कमजोर नहीं कर पाओगे हमारे रिश्ते:भारत रूस संबंधों पर अमेरिकी तारीफ का असर

अंतरराष्ट्रीय राजनीति एक जटिल और गतिशील मंच है जहां देश के बीच संबंध अक्सर अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना करते हैं हल्के वर्षों में भारत और रूस के बीच गहरी और ऐतिहासिक संबंधों को भी ऐसे ही एक चुनौती का सामना करना पड़ा है यह चुनौती थी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ नीति जब अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया तो रूस की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई जिससे यह स्पष्ट हो गया कि दोनों देशों के रिश्ते कितने मजबूत हैं इस घटना ने एक बार फिर दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत और रूस के रिश्ते किसी बाहरी दबाव से कमजोर नहीं होंगे।

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भारत रूस संबंध: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और संबंधों की गहराई

भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने हैं जिनकी जेड सोवियत संघ के समय से जुड़ी है सोवियत संघ ने हमेशा भारत को एक विश्वसनीय मित्र और रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखा 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान सोवियत संघ का भारत को दिया गया समर्थन आज भी दोनों देशों के बीच भरोसे का प्रतीक है। सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने भी इस मित्रता को जारी रखा।

दोनों देशों के बीच संबंध केवल राजनीतिक या सैया नहीं है बल्कि यह सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी गहरे हैं भारत के रक्षक क्षेत्र में रूस का योगदान अद्वितीय है भारत का अधिकांश सैया साधु सामान रस से आता है जिसमें सुखोई और मैक जैसे लड़ाकू विमान एस 400 मिसाइल प्रणाली और विभिन्न रासायनिक जहां शामिल है रूस भारत को अपने उन्नत रक्षा तकनीक का हस्तांतरण भी करता है जो किसी भी अन्य देश से भारत को नहीं मिला है यह सहयोग दोनों देशों के बीच विश्वास और सम्मान का एक मजबूत आधार है।

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ट्रंप की तारीफ नीति और रूस की प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति ने वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचा दी थी उन्होंने कई देशों पर तारीफ लगाए जिम भारत भी शामिल था ट्रंप प्रशासन ने भारत को दिए गए जनर लाइज्ड सिस्टम आफ रेफरेंस एसपी दर्जे को भी समाप्त कर दिया जिससे भारत के निर्यातकों पर बुरा असर पड़ा अमेरिका का यह कदम भारत पर दबाव बनाने की एक कोशिश थी ताकि वह रस से अपने राक्षसों को कम करें अमेरिका ने भारत को चेतावनी दी थी कि अगर वह रस से एस400 मिसाइल प्रणाली खरीदना है तो उसे पर काउंटिंग अमेरिका "ज" एडवरसरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगाया जा सकते हैं।

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ऐसे समय में जब अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा था रूस की तरफ से भारत के समर्थन में आवाज उठी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि टैरिफ और प्रबंध जैसे एक तरफ उपाय अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कमजोर करते हैं उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और रूस के बीच संबंध किसी तीसरे देश के दबाव में नहीं आएंगे रूस ने भारत के साथ अपने राक्षसों को जारी रखने की प्रतिबद्धता भी दोहराई रस का यह रोक यह दर्शाता है कि वह भारत को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में देखा है जो अपने विदेश नीति को स्वतंत्र रूप से तय कर सकता है।

वर्तमान स्थिति और आगे का रास्ता

आज भी भारत और रूस के संबंध मजबूत है दोनों देश कई बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग कर रहे हैं जैसे कि ब्रिक्स ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन सको दोनों देश ऊर्जा व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी अपने सहयोग को बढ़ा रहे हैं रूस भारत को तेल और गैस की आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।

हालांकि कुछ चुनौतियां भी है चीन के साथ रूस की बढ़ती नजदीकी भारत के लिए चिंता का विषय है लेकिन रूस ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत के हितों का कोई नुकसान ना हो भारत ने भी अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है लेकिन उसने रूस के साथ अपनी मित्रता को भी प्राथमिकता दी है भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धांत रणनीतिक स्वायत्तता है जिसका अर्थ है कि भारत अपनी राष्ट्रीय हितों के आधार पर स्वतंत्र निर्णय लेगा।

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निष्कर्ष:

भारत और रूस के बीच का रिश्ता सिर्फ व्यापार और रक्षा सौदों तक सीमित नहीं है बल्कि आपसी सम्मान विश्वास और सजा हेतु पर आधारित है ट्रंप की तारीफ नीति के बावजूद रस की प्रतिक्रिया ने यह साबित कर दिया कि दोनों देशों के रिश्ते इतने मजबूत हैं कि उन्हें किसी बाहरी दबाव से कमजोर नहीं किया जा सकता यह कैसा रिश्ता है जो दशकों के उतार चढ़ाव और वैश्विक भू राजनीतिक परिवर्तनों को झेल चुका है और भविष्य में भी मजबूत रहेगा यह संबंध दुनिया को यह संदेश देता है की सच्ची मित्रता और रणनीतिक साझेदारी किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):

  1. भारत-रूस संबंध इतने मजबूत क्यों हैं?

  2. क्या अमेरिका भारत-रूस रिश्तों से चिंतित है?

  3. अमेरिका की तारीफ के पीछे क्या कूटनीतिक संकेत हैं?

  4. क्या रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भारत पर पड़ा है?

  5. भारत कैसे संतुलन बना रहा है रूस और अमेरिका के बीच?

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