"500% टैरिफ की धमकी के बाद भारत-चीन की बढ़ती नजदीकियां: क्या अमेरिका ने खुद बना दी नई एशियाई जोड़ी?"

भारत चीन: करीब आते रिश्ते और ट्रंप की अनदेखी भूमिका!

भारत चीन: करीब आते रिश्ते और ट्रंप की अनदेखी भूमिका!

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भारत और चीन के बीच संबंध हमेशा से जटिल रहे हैं,जिसमें सीमा विवाद आर्थिक प्रतिस्पर्धा और भू राजनीतिक दांव पर शामिल
है, हाल के वर्षों में विशेष रूप से 2020 की गलवान झड़क के बाद इन संबंधों में काफी तनाव देखा गया हालांकि मौजूदा स्थिति में
कुछ बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। और दिलचस्प बात यह है कि इस बदलाव में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भी
एक ऐसी भूमिका निभा रही है जिसके बारे में शायद वह खुद भी खुलकर बात नहीं करना चाहेंगे।
आज की तारीख में, भारत चीन सीमा पर तनाव बना हुआ है, दोनों देशों की सीन पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने तैनात है,
और सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से हो रहा है भारतीय सेवा प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में स्पष्ट किया था,
कि भारत चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा।
(LAC) पर अपनी सैनिकों की संख्या में फिलहाल कोई कमी नहीं करेगा यह दर्शाता है कि भारत में चीन के प्रति विश्वास की
कमी अभी भी बरकरार है।

"ट्रंप का वार, भारत-चीन की यारी!

हालांकि इन सैन्य तनावों के बावजूद ,कुछ सकारात्मक घटनाक्रम भी देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में, कैलाश मानसरोवर यात्रा
को फिर से शुरू करने पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है, जो विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, इसके
अलावा, वीजा और शैक्षणिक संपर्कों को बहाल करने के प्रयास भी किया जा रहे हैं चीनी विदेश मंत्रालय ने सीमावर्ती इलाकों
में शांति और स्वाद बनाए रखने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है यह भी सुनने में आया है, कि
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता के नए दौर शुरू हो सकते हैं।
आर्थिक मोर्चे पर वित्त वर्ष 2024 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 118.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है,
और चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है। भले ही तकनीकी आयात पर कुछ अंकुश लगाए गए
हो यह आर्थिक संबंध रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिए एक बफर के रूप में कार्य करते हैं, भारतीय समय अपनी सप्लाई
चैन को सुरक्षित करने और चीन पर निर्भरता कम करने के लिए विकल्प तलाश रहा है लेकिन व्यापारिक संबंध पूरी तरह से
खत्म नहीं हुए हैं।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया है किलिक पर शांति और सामान्य स्थिति आर्थिक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है
जबकि पहले चीन का रुख था की सीमा विवाद का असर अन्य क्षेत्रों पर नहीं पढ़ना चाहिए यह भारत की दृढ़ता को दर्शाता है,
की सीमा पर स्थिरता के बिना पूर्ण सामान्यकारण संभव नहीं है।

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ट्रंप की अनकही भूमिका

डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका की अमेरिका फर्स्ट और मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MEGA) की नीतियां अप्रत्यक्ष रूप से भारत और चीन को एक दूसरे के करीब ला रही है एक ऐसी भूमिका जिसे ट्रंप शायद स्वीकार करना पसंद नहीं करेंगे।

ट्राम प्रशासन ने चीन पर तेरे का व्यापारी युद्ध के माध्यम से दबाव बनाया है जिससे चीन को नए व्यापारिक साझेदार तलाशने पड़े हैं वहीं भारत के लिए भी ट्रंप ने रिसिप्रोकल टैरिफ जैसे उपायों की बात की है जिससे भारत को अपनी आर्थिक संप्रभुता और व्यापारिक हितों को साधने के लिए नए समीकरणों पर विचार करना पड़ा है।

"भारत और चीन के बीच बढ़ रही गर्मजोशी की असली वजह: ट्रंप की टैरिफ धमकी!"

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की संरक्षण वादी नीतियों और अमेरिका की अपनी सप्लाई चैन को चीन से दूर विविधता लाने की इच्छा ने भारत जैसे वैकल्पिक निर्माण केदो को बढ़ावा दिया है इसके अलावा ट्रंप द्वारा भारत को व्यापार शब्दों मेंविशेष छूट देने की बात भी सामने आई है जिसके भू राजनीतिक नेता थे खासकर रूस और चीन के संदर्भ में अमेरिका भारत को अपने पाले में रखना चाहता है और यह दबाव भारत को चीन के साथ संबंधों को संतुलित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

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(BRICS) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत और चीन के नेताओं के बीच हुई शिखर वार्ताओं ने भी रिश्तों में गर्माहट लाने में भूमिका निभाई है अक्टूबर 2024 के अंत में रूस के खजाना शहर में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात को संबंधों में सुधार का एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।

ट्रंप की विदेश नीति जो वनों वन समझौता और टैरिफ पर केंद्रित रही है ने दुनिया भर के देशों को अपनी भू राजनीतिक रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर किया है भारत और चीन दोनों ही अमेरिकी दबाव का सामना कर रहे हैं एक ऐसे अनकही समझौते पर पहुंच सकते हैं जहां वे अपने आप से विवादों को एक हद तक सूझकर या कम से कम नियंत्रित कर एक दूसरे के साथ ड्रैगन एलीफेंट डांस जैसा कि चीनी विदेश मंत्री ने कहा था को अंजाम दे सकें यह कैसा अजीब रिश्ता है जहां अमेरिकी दबाव ने अनजाने में दो एशियाई दिग्गजऑन को एक दूसरे के करीब धकेल दिया है।

हालांकि यह निकटता किसी गहरी भरोसे का परिणाम नहीं है बल्कि सजा भू राजनीतिक और आर्थिक दबावों की प्रतिक्रिया है भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना चाहता है और किसी भी बड़े गुट का हिस्सा नहीं बनना चाहता चीन भी अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को साधने के लिए विभिन्न देशों के साथ संबंध बनाना चाहता है इस समीकरण में ट्रंप की भूमिका एक ऐसे प्रेरक की रही है जिसने भारत और चीन को भले ही अस्थाई रूप से एक दूसरे की तरफ देखने पर मजबूर किया है ताकि वे अपने-अपने राष्ट्रीय हितों को बेहतर ढंग से साथ सकें यह कैसी कहानी है जहां ट्रंप का प्रभाव हालांकि अप्रत्यक्ष और अनपेक्षित वैश्विक भू राजनीतिक को एक नया मोड़ दे रहा है।

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FAQs:

  1. ट्रंप ने भारत को 500% टैरिफ की धमकी क्यों दी?

  2. क्या भारत-चीन की बढ़ती नजदीकी अमेरिका की नीतियों की वजह से है?

  3. भारत को ट्रंप की टैरिफ धमकी से क्या नुकसान हो सकता था?

  4. क्या भारत-चीन की दोस्ती अस्थायी है या रणनीतिक?

  5. अमेरिका को भारत-चीन सहयोग से क्या खतरा हो सकता है?


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