अनिल अंबानी के रिलायंस समूह पर ED की कार्रवाई एक विस्तृत विश्लेषण
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हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ED ने यस बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह से जुड़ी कंपनियों के 35 से अधिक ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की इस कार्रवाई ने एक बार फिर उद्योग जगत में हलचल मचा दी है और अनिल अंबानी की कानूनी मुश्किलें बढ़ा दी हैं रिलायंस समूह ने इन चैन पर अपनी छुट्टी तोड़ते हुए कहा है कि यह आप 8 साल से भी अधिक पुराने हैं और यस बैंक से जुड़े सभी लेन-देन नियमों और कानून के अनुसार हुए थे लिए इस पूरे मामले की वर्तमान स्थिति और उससे जुड़ी खबरों को विस्तार से समझते हैं।
मामले की पृष्ठभूमि और एड के आरोप
एड की यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई द्वारा येस बैंक के राणा कपूर रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के खिलाफ दर्ज किए गए दो मामलों पर आधारित है एड की प्रारंभिक जान से पता चला है कि 2017 से 2019 के बीच येस बैंक ने अनिल अंबानी के रिलायंस समूह को लगभग 3000 करोड रुपए का ऋण दिया था आरोप है कि इस धनराशि को सेल कंपनी औरसमूह की अन्य संस्थाओं में भेज दिया गया जिसका उद्देश्य सार्वजनिक धन को धोखाधड़ी से निकलना था।
ED ने अपनी जांच में पाया है कि येस बैंक द्वारा रिलायंस समूह की कंपनियों को ऋण स्वीकृतियों में गंभीर उल्लंघन हुए हैं इनमें बैक डेटेड क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम CAMs उचित परिश्रम की कमी और बैंक की क्रेडिट नीतियों का उल्लंघन शामिल है यह भी आरोप है कि रन उन कंपनियों को दिए गए जिनकी वित्तीय स्थिति कमजोर थी जिनके पाते और निर्देशक एक समान थे और जिनके दस्तावेज अपर्याप्त थे इसके अलावा एवरग्रीनिंग ऑफ लोन यानी पुराने ऋण चुकाने के लिए नया ऋण देने जैसे मामले भी सामने आए हैं सबसे गंभीर आरोपों में से एक यह है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों को उनके व्यवसाययों में पैसा मिला था जो रिश्वत के एक संभावित सडगार्ड की ओर इशारा करता है भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड सेबी ने भी रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड रफल के संबंध में अपनी जांच के निष्कर्ष एड के साथ साझा किए हैं जिसमें रफल के कॉर्पोरेट ट्रेड बुक में एक साल के भीतर नाटकीय वृद्धि देखी गई थी।
कुछ रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड आरकॉम ने 14000 करोड रुपए से अधिक की रन धोखाधड़ी की है और अनिल अंबानी को 13 जून 2025 को आरबीआई के नियमों के अनुसार धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया गया था इस मामले में विदेशी बैंक खातों और विदेशी संपत्तियों की भी जांच की जा रही है।
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समूह का दावा है कि यह सभी योग्यता के आधार पर उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए स्वीकृत किए गए थे और एक क्रेडिट समिति द्वारा विधिवत अनुमोदित किए गए थे जिसमें 30 से अधिक व्यक्ति शामिल थे।
रिलायंस समूह ने आगे कहा है कि रन पूरी तरह से सुरक्षित थे और ब्याज सहित पूरी तरह से चुका दिए गए हैं और अब बकाया राशि शून्य है समूह ने इस बात पर जोर दिया है कि रिलायंस समूह की कंपनियों और यस बैंक के बीच सभी लेनदेन लागू कानून वन नियमों और वित्तीय मानदंडों के पूर्ण अनुपालन में किए गए हैं उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि एड की इन कार्रवाइयों का रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और रिलायंस पावर लिमिटेड या किसी अन्य रिलायंस समूह की इकाई के व्यावसायिक संचालन वित्तीय प्रदर्शन कर्मचारी शेयरधारकों या किसी अन्य हिट धारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ED की कार्रवाई के प्रमुख बिंदु
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कई परिसरों पर छापेमारी:
मुंबई, दिल्ली और पुणे समेत कई शहरों में रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों के कार्यालयों और अधिकारियों के घरों पर छापे मारे गए। -
डिजिटल और दस्तावेजी सबूत जब्त:
ED ने कई लैपटॉप, हार्ड ड्राइव, अकाउंट बुक्स और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए हैं। -
बेनामी लेनदेन का शक:
प्रारंभिक जांच में कुछ कंपनियों के जरिए फर्जी निवेश और फंड ट्रांसफर की आशंका जताई गई है। -
अनिल अंबानी की संभावित पूछताछ:
ED द्वारा अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए समन भेजे जाने की संभावना जताई जा रही है।
वर्तमान स्थिति और आगे क्या
वर्तमान में एड मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम PMLA की धारा 17 के तहत जांच कर रहा है मुंबई और दिल्ली में 35 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की गई है जिसमें 50 से अधिक कंपनियों और 25 से अधिक व्यक्तियों की जांच चल रही है सीबीआई की फिर औरविभिन्न एजेंटीयों जैसे सेबी नेशनल हाउसिंग बैंक बैंक आफ बडौदा और नेशनल फाइनेंशियल रिर्पोटिंग अथॉरिटी NFRA से मिली जानकारी के आधार पर एड अपनी जांच को आगे बढ़ा रही है।
यह मामला अभी जांच की शुरुआती चरण में है ईद का लक्ष्य यह स्थापित करना है कि क्या यस बैंक के अधिकारियों और रिलायंस समूह के बीच रिश्वत के बदले रन का कोई संबंध था अनिल अंबानी और उनके समूह को इन आरोपों का सामना करना होगा और उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी इस मामले का परिणाम भारतीय कारपोरेट जगत और बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और विनियमन के लिए महत्वपूर्ण रख सकता है।
संक्षेप में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह पर एड की यह कार्रवाई येस बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जहां एड गंभीर वित्तीय अनियमिताओं और संभावित रिश्वतखोरी का आरोप लगा रहा है वहीं रिलायंस समूह इन आरोपों को खारिज करते हुए सभी लेनदेन को वेद और पारदर्शी बता रहा है आने वाले समय में कानूनी प्रक्रियाएं आगे बढ़ेगी और इस जटिल मामले की परतें और खुलेंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
🔸 1. ED ने अनिल अंबानी के खिलाफ किस मामले में कार्रवाई की है?
उत्तर: मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में ED ने छापेमारी और जांच शुरू की है।
🔸 2. क्या अनिल अंबानी को गिरफ्तार किया जा सकता है?
उत्तर: फिलहाल नहीं, लेकिन यदि पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो गिरफ्तारी संभव है।
🔸 3. कौन-कौन सी कंपनियां जांच के घेरे में हैं?
उत्तर: रिलायंस कैपिटल, रिलायंस होम फाइनेंस और अन्य अनिल अंबानी समूह की कंपनियां।
🔸 4. शेयर बाजार पर क्या असर पड़ा है?
उत्तर: समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
🔸 5. क्या यह कार्रवाई राजनीतिक है?
उत्तर: इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं, लेकिन कुछ विश्लेषक इसे राजनीतिक और आर्थिक हितों से जोड़कर देख रहे हैं।

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