फैक्ट्री और नौकरियों का दौर खत्म? ट्रंप की नई चाल और भारत-चीन पर असर!

 फैक्ट्री बनाने और नौकरियां देने के दिन गए ट्रंप का बदलते रुख और भारत चीन पर इसका असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान की चीन में कारखाने बनाने और भारत में श्रमिकों को कम पर रखने के दिन अब गए एक महत्वपूर्ण भू राजनीतिक और आर्थिक बदलाव का संकेत देता है यह सिर्फ एक चुनावी बयान नहीं बल्कि अमेरिका की व्यापार नीति में एक संभावित बदलाव की ओर इशारा करता है जिसका सीधा असर भारत और चीन जैसे बड़े विनिर्माण और श्रम बाजारों पर पड़ेगा इस बयान का नेता समझने के लिए हमें वर्तमान वैश्विक व्यापार परिदृश्य अमेरिका चीन संबंधों की जटिलता और भारत की बढ़ती आर्थिक आकांक्षाओं को गहराई से देखना होगा।

अमेरिका चीन संबंध एक बदलती दूरी

कम प्रशासन के दौरान अमेरिका चीन व्यापार युद्ध अपने चरम पर था जिसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों को वापस लाना था हालांकि 2024-2025 में स्थिति थोड़ी बदलता दिख रही है ट्रंप ने हाल ही में चीन के राष्ट्रपति श्री जंपिंग से रिश्तों को बहुत अच्छा बताया है और चीन यात्रा की संभावना भी जताई है यह संकेत देता है कि भले ही व्यापारिक तनाव मौजूद होलेकिन कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं।

अमेरिकी कंपनियों ने चीन में अपनी विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला को विविधतापूर्ण बनाने पर विचार किया है जिसमें भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देश लोकप्रिय विकल्प बनकर अब रहे हैं कोविद-19 महामारी ने इस प्रवृत्ति को और तेज किया क्योंकि कंपनियों ने अपने आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला बनाने की आवश्यकता महसूस की हालांकि यह भी सच है कि कई अमेरिकी कंपनी अभी भी चीन को एक बड़ा और महत्वपूर्ण बाजार मानती है और वहां व्यापार करने के अवसर भी मौजूद हैं चीन की अपनी मुद्रा युवान को कमजोर करने की नीति का भी भारतीय रुपए पर दबाव देखा जा सकता है।

भारत एक उभरता हुआ विनिर्माण केंद्र

भारत ने मेक इन इंडिया पल के माध्यम से वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की महत्वाकांक्षा पहले हुए हैं इस पहल के तहत भारत में व्यवसाय सुगमता में सुधार उत्पादन लिंक प्रोत्साहन PLI योजनाओं की शुरुआत और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है इसके परिणाम स्वरुप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है 2000 से 2024 की अवधि में अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक रहा है जिसने 65.9 बिलियन अमेरिकी डॉलरका संचाई एफडी आकर्षित किया है 2024-25 की पहली 6 month में FDI में 26% की वृद्धि हुई है जो भारत के प्रति बढ़ते वैश्विक भरोसे को दर्शाता है।

अमेरिकी कंपनियों के चीन से बाहर निकलने से भारत को व्यापार और विदेशी निवेश दोनों में महत्वपूर्ण अवसर मिलने की उम्मीद है विशेष रूप से कपड़ा जूते और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में जहां चीन की अमेरिकी बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है भारत के लिए निर्यात बढ़ाने की संभावनाएं हैं भारतीय निर्यातक इस बदलाव को लेकर काफी आशावादी हैं क्योंकि भारत के पास अपने आप में एक बड़ा घरेलू बाजार होने का फायदा है जो इसे एक आकर्षक विनिर्माण आधार बनाता है।

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हालांकि भारत के लिए चुनौतियां भी काम नहीं है विनिर्माण क्षेत्र में वित्त तक पहुंचे और वैश्विक प्रतिस्पर्धा विशेष रूप से चीन से अभी भी बड़ी बढ़े हैं भारत को लाल सीता शाही काम करने नियामक सुधारो को लागू करने और रसद व्यापार संबंधी बढ़ाओ को दूर करने की आवश्यकता है ताकि विदेशी निवेश को और अधिक आकर्षित किया जा सके।

रोजगार सृजन और भारतीय श्रम बाजार

ट्रंप का बयान भारत में रोजगार सृजन पर भी सीधा असर डालता हैभारत एक युवा आबादी वाला देश है जहां रोजगार के अवसर पैदा करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है सरकार ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना जैसी कई पहले शुरू की है जिनका उद्देश्य रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।

हाल के वर्षों में भारतीय श्रम बाजार संकेत में सुधार देखा गया है 2023-24 में बेरोजगारी दारघाट कर 3.02% रह गई है और महिला श्रम बाल भागीदारी दर में भी वृद्धि हुई है विदेशी निवेश विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अमेजॉन और वालमार्ट जैसी वैश्विक कंपनियों के प्रवेश से खुदरा और लॉजिस्टिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार उत्पन्न हुए हैं।

ट्रंप की टैरिफ धमकी: भारत और चीन का नया समीकरण?

ट्रंप ने हाल ही में यह धमकी दी कि अगर देश अमेरिका के हितों को नुकसान पहुँचाते हैं, तो वे 60% से 100% तक टैरिफ लगा सकते हैं। इस बयान से वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ी है।

लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह धमकी भारत और चीन को और करीब ला सकती है। भले ही भारत और चीन एक-दूसरे के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी हों, परंतु अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति उन्हें अस्थायी रूप से साझा हित में ला सकती है, खासकर ग्लोबल सप्लाई चेन को स्थिर रखने के लिए।

निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रंप का बयान एक बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की बंदी है यह स्पष्ट है कि अमेरिका अपनी निर्माण क्षमताओं को मजबूत करना चाहता है और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन पर निर्भरता से मुक्त करना चाहता है भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर है बशर्ते वह निवेश के अनुकूल माहौल को और बेहतर बनाएं लाल सीता शाही कम करें और अपने श्रम बाल को आवश्यक कौशल प्रदान करें।

हालांकिभारत को यह भी समझना होगा कि अमेरिकी निवेश और नौकरियां पूरी तरह से चीन से हटकर भारत नहीं आ जाएंगे यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई कारक शामिल होंगे भारत को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे अमेरिका और भारत के बीच सामरिक साझेदारी मजबूत हो रही है और यह व्यापार रक्षा और तकनीकी प्रगति के क्षेत्र में सहयोग के नए रास्ते खोल सकती है यह केवल कारखाने बनाने और श्रमिकों को कम पर रखने से कहीं बढ़कर एक व्यापक आर्थिक और भू राजनीतिक समीकरण का हिस्सा है आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बयान वैश्विक व्यापार और निवेश के मानचित्र को कैसे आकर देता है।

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FAQs:

Q1. क्या ट्रंप फिर से चीन पर टैरिफ लगाएंगे?

Q2. भारत को इसका क्या फायदा है?

Q3. क्या ट्रंप अमेरिका में फैक्ट्रियां लाने की बात अब नहीं कर रहे?

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