अमेरिका का चाबुक: चीन, कनाडा और भारत पर टैरिफ – दुनिया में विरोध, भारत की लेफ्ट पार्टी में जश्न!
नई दिल्ली/वॉशिंगटन:
अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दुनिया में अमेरिका ने एक बार फिर ऐसा कदम उठाया है, जिसने न सिर्फ वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है बल्कि राजनीतिक बहसों को भी हवा दे दी है। अमेरिकी प्रशासन ने चीन, कनाडा और भारत से आने वाले कई उत्पादों पर नए टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने का फैसला किया है। इस कदम के बाद दुनिया के कई देश एकजुट होकर इसका विरोध कर रहे हैं, मगर हैरानी की बात यह है कि भारत में वामपंथी (लेफ्ट) पार्टियां इस फैसले का खुलेआम जश्न मना रही हैं।
अमेरिका का नया टैरिफ हथियार,वैश्विक व्यापार युद्ध:
अमेरिका ने कहा कि यह उसके घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए किया गया है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय निर्माताओं पर बढ़ता दबाव चीन के सस्ते सामान, कनाडा के विशेष निर्यात और भारत के बढ़ते टेक्सटाइल और स्टील निर्यात से हुआ है।
विशेष रूप से स्टील, एल्युमिनियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल भागों पर नई टैरिफ दरें लागू की गई हैं। इससे स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और इन देशों से अमेरिका में निर्यात महंगा हो जाएगा।
वैश्विक विरोध और आर्थिक असर
यूरोपीय संघ, आसियान देशों, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य व्यापारिक साझेदारों ने इस निर्णय के तुरंत बाद अमेरिका के खिलाफ बयान दिए। उनका कहना है कि यह “मुक्त व्यापार” के सिद्धांतों के खिलाफ है और वैश्विक व्यापार युद्ध को जन्म दे सकता है।
आर्थिक विश्लेषकों का मत है कि अमेरिका वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में मामले दायर कर सकता है अगर वह ऐसा करता रहा। साथ ही, बड़े निवेशकों से लेकर आम उपभोक्ता भी वैश्विक सप्लाई चेन में बढ़ी हुई अस्थिरता से प्रभावित होंगे।
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भारत पर सीधा असर
यह फैसला भारत को बड़ा झटका दे सकता है। भारत के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है, खासतौर पर फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग उत्पादों और आईटी सेवाओं में। भारतीय कंपनियों के उत्पादों की लागत बढ़ने से उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कम हो जाएगी क्योंकि टैरिफ बढ़ेगा।
सरकार से कई उद्योग संघों ने अपील की है कि वह तुरंत अमेरिका से इस मामले पर बातचीत करे, ताकि भारतीय निर्यातकों को राहत मिल सके।
दुनिया का विरोध, मगर भारत में लेफ्ट पार्टी का जश्न!
यह कदम दुनिया भर में आलोचना का शिकार हो रहा है, लेकिन भारत की वामपंथी पार्टियां अपनी जीत को “अमेरिका की पूंजीवादी नीतियों की असली तस्वीर” बता रही हैं। उनका कहना है कि यह कदम साबित करता है कि पूंजीवाद निरंतर बाजार नियमों को अपने लाभ के लिए बदलता है।
यहां तक कि कुछ लेफ्ट नेताओं ने कहा कि यह भारत के लिए एक मौका है कि वह घरेलू उद्योगों को बढ़ावा दे और अमेरिकी बाजार पर अपनी निर्भरता कम करे। लेफ्ट संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ कई जगहों पर अमेरिकी दूतावासों के बाहर प्रदर्शन भी किए, लेकिन उनका अंदाज जश्न मनाने से अधिक था।
राजनीतिक तड़का
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भारत भी इस मामले पर राजनीतिक बहस कर रहा है। विपक्षी दल सरकार से सवाल कर रहे हैं कि भारत ने इतने महत्वपूर्ण व्यापारिक मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी है? वहीं, सत्ताधारी पक्ष का कहना है कि सरकार स्थिति पर नजर रखती है और भारतीय निर्यातकों के हितों को किसी भी तरह से बचाया जाएगा।
वास्तव में, इस टैरिफ से भारत के लाखों श्रमिक और कारोबारी प्रभावित होंगे, लेकिन कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का विचार है कि लेफ्ट का इस फैसले को जश्न मनाना एक “राजनीतिक स्टंट” है जिसका उद्देश्य केवल अमेरिका-विरोधी छवि को मजबूत करना है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार युद्ध का खतरा
चीन और अमेरिका पहले से ही ट्रेड वॉर में हैं। भारत और कनाडा पर टैरिफ लगाने के बाद यह द्वन्द्व और गहरा सकता है। यदि प्रभावित देश भी अमेरिका के खिलाफ टैरिफ बढ़ाते हैं, तो “ट्रेड वॉर 2.0” शुरू हो सकता है।
इतिहास दिखाता है कि बड़े व्यापार युद्ध देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का कारण भी बन सकते हैं।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस समय दोहरी रणनीति अपनानी होगी—
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अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत कर टैरिफ कम कराने की कोशिश।
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नए निर्यात बाजार तलाशना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
लेफ्ट पार्टियों के जश्न के बीच असली चुनौती यह है कि भारत अपने निर्यातकों और उद्योगों को कैसे बचाए। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भावनाओं से ज्यादा गणित चलता है, और फिलहाल यह गणित भारत के पक्ष में नहीं दिख रहा।
निष्कर्ष:
यह कदम अमेरिका की आर्थिक नीति के अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक हिस्सा है। दुनिया इसका विरोध कर रही है, भारत में कई उद्योग चिंतित हैं, लेकिन लेफ्ट पार्टी ने इसे अपनी विचारधारा की जीत मान लिया है। यह आने वाले समय में देखा जाएगा कि टैरिफ भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा या एक संकट बन जाएगा।
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FAQs:
Q1: अमेरिका ने भारत पर टैरिफ क्यों लगाया?
अमेरिका का दावा है कि भारत के बढ़ते निर्यात से उनके घरेलू उद्योगों को नुकसान हो रहा था, इसलिए आयात शुल्क बढ़ाया गया।
Q2: इस टैरिफ से भारत को कितना नुकसान होगा?
टेक्सटाइल, स्टील, इंजीनियरिंग और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है।
Q3: दुनिया के बाकी देश इस फैसले पर क्या कह रहे हैं?
यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों ने इसका विरोध किया है और WTO में शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं।
Q4: लेफ्ट पार्टी इसका जश्न क्यों मना रही है?
लेफ्ट पार्टियां इसे अमेरिका की पूंजीवादी नीतियों की पोल खुलना मान रही हैं और आत्मनिर्भरता का अवसर बता रही हैं।
Q5: भारत को इस स्थिति में क्या करना चाहिए?
भारत को अमेरिका से बातचीत और नए निर्यात बाजार तलाशने की रणनीति अपनानी चाहिए।


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